छत्तीसगढ़ में नक्सल मोर्चे पर सुरक्षा एजेंसियों को बड़ी सफलता मिली है। दुर्ग संभाग के खैरागढ़ जिले में नक्सली संगठन को भारी झटका देते हुए 12 नक्सलियों ने हथियार डाल दिए हैं। सरेंडर करने वालों में सबसे बड़ा नाम है सीसी मेंबर रामदेर मज्जी का, जिस पर 1 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था। हिड़मा के बाद वह छत्तीसगढ़ का दूसरा सबसे बड़ा नक्सली लीडर माना जाता था। बकरकट्टा थाने में हुए इस आत्मसमर्पण को माओवादियों के लिए गहरी क्षति और सरकार की आत्मसमर्पण नीति की बड़ी सफलता माना जा रहा है। सरेंडर करने वालों में 6 महिला नक्सली भी शामिल हैं, जो लंबे समय से विभिन्न नक्सली फ्रंट संगठनों में सक्रिय थीं। नक्सलियों ने अपने पास मौजूद हथियारों के साथ आत्मसमर्पण किया और हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया। प्रशासन और स्थानीय खुफिया एजेंसियों द्वारा लगातार दबाव, अभियान और विकास कार्यों ने इस बड़ी कार्रवाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
नक्सली तंत्र को भारी आघात
रामदेर मज्जी के आत्मसमर्पण को सिर्फ सरेंडर नहीं, बल्कि नक्सली संगठन की कमान में बड़ी टूट के रूप में देखा जा रहा है। हिड़मा और अन्य शीर्ष कमांडरों की तर्ज पर वह लंबे समय से एक बड़े दायरे में नक्सली गतिविधियों का संचालन कर रहा था। उस पर सुरक्षा बलों पर हमले, पुलिस जवानों की हत्या, फिरौती, धमकी और विस्फोट जैसी कई गंभीर वारदातों में शामिल होने के केस दर्ज हैं। सरेंडर सूची में CCM, DVCM, ACM और PM स्तर के सदस्य भी शामिल हैं, जो नक्सली संगठन की कमांड, मोर्चा संचालन और हमले की रणनीति में बड़ी भूमिका निभाते थे। इन नेताओं का आत्मसमर्पण माओवादी संगठन की रणनीतिक और नेतृत्व क्षमता को सीधा नुकसान पहुंचाने वाला कदम है।
खैरागढ़ और MMC जोन में दर्ज थीं गंभीर वारदातें
सरेंडर करने वाले अधिकांश नक्सलियों के खिलाफ MMC जोन के विभिन्न थानों में कई गंभीर अपराध दर्ज हैं। पिछले कुछ वर्षों में कई बम हमलों, पुलिस-पैट्रोलिंग पर हमले, सरकारी ठेकों में बाधा, ग्रामीणों को धमकाने और बंधक बनाने जैसी घटनाओं में इनका नाम शामिल रहा है। सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि यह सरेंडर उस निरंतर अभियान का परिणाम है, जो खैरागढ़ और बकरकट्टा क्षेत्र में पिछले साल भर से चल रहा था। जंगलों में दबाव, खुफिया सूचना तंत्र में मजबूती और नक्सलियों की सप्लाई लाइन कटने के बाद संगठन लगातार कमजोर स्थिति में पहुंच गया था।
विकास और विश्वास के रास्ते पर वापसी
नक्सलियों के आत्मसमर्पण के बाद प्रशासन ने स्पष्ट किया कि सभी सरेंडर करने वालों को राज्य की पुनर्वास नीति के तहत लाभ दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने भी बयान जारी कर इसे छत्तीसगढ़ के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि बताया और कहा कि “जो हथियार छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं, सरकार उनके साथ है। राज्य में शिक्षा, सड़क, स्वास्थ्य सुविधाओं और संवाद कार्यक्रमों को नक्सल इलाकों तक पहुंचाने के प्रयासों ने भी स्थानीय लोगों और भटके युवाओं को हथियार छोड़ने के लिए प्रेरित किया है। कई महिला नक्सलियों ने सरेंडर के समय भावुक होकर कहा कि वे वर्षों तक परिवार, समाज और सामान्य जीवन से दूर रहने के बाद अब शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहती हैं।
नक्सल मोर्चा अब निर्णायक मोड़ पर
इस महत्वपूर्ण सरेंडर से छत्तीसगढ़ में नक्सल नेटवर्क की रीढ़ पर बड़ा असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है। नेतृत्व स्तरीय चेहरों के आत्मसमर्पण के बाद माओवादी गतिविधियों पर निगरानी, जमीनी खुफिया तंत्र और विकास कार्यक्रमों के माध्यम से सरकार अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचती दिखाई दे रही है। आने वाले दिनों में सुरक्षा बलों का फोकस बाकी बचे सक्रिय क्षेत्रों में अभियान तेज करने पर रहेगा। उम्मीद की जा रही है कि इस सरेंडर के बाद और भी नक्सली मुख्यधारा में लौटने के लिए आगे आएंगे।